नीति-रीति सब बिसराए दुनिया भागे आगे।
भागे देखो ऐसा की मन मा शैतनवा जागे,
देह-नेह दरकार रे भैया, मन अनुराग न जागे।
अनुराग जे बाप-माए के अब त विषैला लागे,
घर में अकेला बुढ्ढा-बुढ्ढी राह देखे टघुराये।
रतियाँ कुहके कोयलिया, दिन मा उल्लू जागे,
नीति-रीति सब बिसराए दुनिया भागे आगे।
मुँह पर छूछे वाहवाही है मन कोहू न भावे,
भावे तो बस टका-रुपैया, ऐश-मौज करवावे।
ऐश-मौज है चलन रे भैया, शरम काहे को आवे,
मिले जे मौका पंडितो-मोमिन हरिअर नोट उगावे।
महावीर जब नाम सुनावै भूत-पिशाच न आवे,
मानव भीतर भूत-पिशाचन देख कपि मुस्कावे।
रतियाँ कुहके कोयलिया, दिन मा उल्लू जागे,
नीति-रीति सब बिसराए दुनिया भागे आगे।
धन-वैभव के बात न पूछो महिमा अजर-अमर है,
पांडव-कौरव मुँह फुलावत, गरजत महा-समर है।
धरमराज के झुठलावे अश्वथामा मरण वचन है।
एकलव्य से माँग अँगूठा, गुरु-गरिमा लाज लजावे,
दानी करण के छल के कवछ्वा, देव-धरम शरमावे।
देवव्रत के बाण के शय्या किन्नर नाच सजावे।
रतियाँ कुहके कोयलिया, दिन मा उल्लू जागे,
नीति-रीति सब बिसराए दुनिया भागे आगे।
भगत-गुरु-सुखदेव गयो रे फाँसी शीश झुलाते,
जनता खेले खून के होली, नेतवन पान चबावे,
बाँट-बाँट के हिन्दू-मुस्लिम, इंग्लिस चाल चलावे।
धधकत देखत प्रह्लाद, होरिका फूफी खूब ठठावे,
माया-मेवा, कौन रे देवा? नर-सिंह कौन बचावे?
रतियाँ कुहके कोयलिया, दिन मा उल्लू जागे,
नीति-रीति सब बिसराए दुनिया भागे आगे। – प्रकाश ‘पंकज’
Aaj ke yug ke chalan ko bilkul sahi roop mein dikhaya hai aapne iss kavita mein...
जवाब देंहटाएंKanu
सटीक चित्रण!!
जवाब देंहटाएंbahut achchha
जवाब देंहटाएंAdbhut hardik badhai dil ko chho jane wale shabd,shabdo me deshipan ka jadu bohot badhiya hai
जवाब देंहटाएंआजकल लिखना क्यूँ बंद है?
जवाब देंहटाएंSameer jee .. ise padhiye .. http://pankaj-writes.blogspot.in/2013/08/patit-paawan-patratu.html?utm_source=BP_recent
हटाएंyour post is so amazing and informative .you are always write your in the meaningful and explaining way.
जवाब देंहटाएंnimbu ke fayde