शनिवार, 6 नवंबर 2010

ईश्वर भी क्या व्यापारी है?

















ईश्वर तो प्यासा केवल प्रेम का , प्रेम में परित्याग का ,
चरित्र में सदभाव का , सदभाव के संचार का ,
मूढ़ता में ज्ञान का , ज्ञान के विस्तार का ,
निर्जिवितों में प्राण का, रक्त के प्रवाह का ,
प्रफुल्लितों से मेघ का , सुयश समृद्धि का ,
सुखद चंद्रवृष्टि का , सम्यक सुदृष्टि का ,
सजगता के भ्रूण का , विश्वास के एक नव अरुण का।  – प्रकाश ‘पंकज’


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