नभ चादर, थल शैय्या।
मेरे दरिद्र नारायण भईया।
टूटी झोपड़, फूस की नथिया,
बाबा की टूटी नईया ।
मेरे दरिद्र नारायण भईया।
बाल जटीला, खाल मटीला,
न बकरी न गैया।
मेरे दरिद्र नारायण भईया।
हल न कुदाली, पतोह रुदाली,
साहू माँगे रूपैया।
कहे दरिद्र नारायण भईया।
खाली खजाना, एक न दाना,
कबहू न आवे गोरैया
कहे दरिद्र नारायण भईया।
खून जलावै, शहर कमावै,
थक-हारे आवै सईंया।
मेरे दरिद्र नारायण भईया।
सर्दी आवे दुरदिन लावे,
ठण्ड कँपावे मईया।
कहे दरिद्र नारायण भईया।
गुदरी खोजे, फूस जोरावे,
आग-अंगीठी दुहरिया।
ओ दरिद्र नारायण भईया।
होली आवे, रंग उड़ावे,
अपनी बेरंगी दुनिया।
कहे दरिद्र नारायण भईया।
साले-साले होलिका जारे,
जले न हमरी दुखिया।
कहे दरिद्र नारायण भईया।
माघ डरावे, माथ जरावे,
खोजे पीपल छईंया।
मेरे दरिद्र नारायण भईया।
आँख के पानी, माथ पसीना,
कौनो अंतर न भईया,
ओ दरिद्र नारायण भईया।
बरसा आवे, मही जुरावे,
घर फूटी उल्टी नईया।
मेरे दरिद्र नारायण भईया।
घर में पोखर, भींगे ओखल,
खाटन ऊपर खेवईया,
कहे दरिद्र नारायण भईया।
छठ-देवारी हमारी दुआरी,
कैसे होवे भईया।
पूछे दरिद्र नारायण भईया।
पास न आवत, खूब छकावत,
नगद नारायण भईया।
कहे दरिद्र नारायण भईया।
कहे कहानी, अपनी जुबानी,
हरिहरनाथ गवैया।
ओ दरिद्र नारायण भईया।
बाप खेवैया, पूत गवैया,
दुःख नाचे ता-ता-थइया।
गावे दरिद्र नारायण भईया। – प्रकाश ‘पंकज’
Courtesy: Google Image Search (wired.com/wp-content/uploads/2014/08/43.jpg)
हर शब्द अपनी दास्ताँ बयां कर रहा है आगे कुछ कहने की गुंजाईश ही कहाँ है बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएं....... बहुत दिनो के बाद आपको लिखते देखकर खुशी हुई।
जवाब देंहटाएंवाह लजवाब रचना ... बहुत मज़ा आया ...
जवाब देंहटाएंbahut hi badhiya rachna
जवाब देंहटाएंबहुत समय बाद-
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया,,,,
हर छंद सच्चाई बयान कर रहा है ...
जवाब देंहटाएंVery nice and contemporary comment on the plight of poor people, feudalism vs socialism fight is still going on
जवाब देंहटाएंVery nice and contemporary comment on the plight of poor people, feudalism vs socialism fight is still going on
जवाब देंहटाएंVery nice and contemporary comment on the plight of poor people, feudalism vs socialism fight is still going on
जवाब देंहटाएंbahut hi bhaavpurna
जवाब देंहटाएंBahut hi hridaye sparshak.. Abhi recently 2 Maine ka India tour kiya villages mai.. Bas vahi yaad aaya.... Pura scene.. Best lines.. Wchi I cud relate to.. Were. Aakh mai paani maath paseena.. Kohni na antar bhaiyaaaa. ..
जवाब देंहटाएंखुशी हुई, लाजवाब लिखा बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रकाश। इसी तरह से लिखते रहे।
जवाब देंहटाएंजिंदगी कि सचाई, .....प्रकाश पंकज कि रचना |
जवाब देंहटाएंNamsKaar. . .Bhai . .
जवाब देंहटाएंit always feel good n full to read in Hindi. . . straight discipline pen work bhai. . . manywhere i relate my self. . . kp it up. . .good work.
आपको भी नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएँ । ये देखकर अति हर्ष हो रहा है कि आपने संपर्क किया ये जानकर आपको आश्चर्य होगा कि हमारी पिछली चैट २१ जनवरी २०११ को हुई थी । मै ही ज्यादा सक्रिय नहीं रहा फेसबुक पर । आपकी रचना पढी अति सुंदर दरिद्र नारायण को चरितार्थ करती दिल को छू गयी । एक बार फिर धन्यवाद यूँ ही स्नेह बनाए रखे
जवाब देंहटाएंआपकी कविता अच्छी लगी ऐसे ही लिखते रहे .....
जवाब देंहटाएंयार वाकई में बहुत अच्छा लिखा है.....
जवाब देंहटाएंBahut hi badiya itna bhavvibhor aur kalatmak kalam tumahara hi ho sakta hai
जवाब देंहटाएंDo u mind if I shade it across using fb and whatsapp
Bahut achhe Pankaj ji ... kuchh shabdon ka arth samjh nahi aaya ek bilkul nahi shaili ki kavita hai aapki
जवाब देंहटाएंVery deep...Nicely written
जवाब देंहटाएंAcha likhate ho
जवाब देंहटाएंKeep writing
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 08 अक्टूबर 2016 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद! .
जवाब देंहटाएंwow very nice..happy new year2017
जवाब देंहटाएंwww.shayariimages2017.com