अमन-अमन हम रटते आये, घाव पुराने भरते आये ,
झूठी पेश दलीलों पर , शत्रु को मित्र समझते आये ।
झूठी है यह "अमन की आशा", फिर काँटों भरी एक चमन की आशा,
अमन-चैन के मिथ्या-भ्रम में , शीश के मोल चुकाते आये । - पंकज
सोमवार, 15 फ़रवरी 2010
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बहुत उम्दा बात कही अपने......
जवाब देंहटाएंअमन की आशा ............एक मखौल के सिवा क्या है ?
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bilkul hi satik baat hai. uttar dene ke bajaye chup rehte hain or fir chate khate hain. times of india ka dhong hai ye aman ki asha.
जवाब देंहटाएंdhanyabaad pankaj ji
-Ashish
क्या सच में अमन संभव है .... अच्छा लिखा है आपने ...
जवाब देंहटाएंwah!
जवाब देंहटाएंHriday ko chhoone wali rachna
जवाब देंहटाएंसही कहा प्रकाश जी...जिस पाकिस्तान के साथ अमन की दोस्ती की इतनी बातें की जाती हैं उसी के खिलाफ मिली जीत हमें सबसे ज़्यादा संतोष देती है, उससे जुड़ी कोई बुरी ख़बर सुनकर हमारा दिन बन जाता है।
जवाब देंहटाएंhaar hamesha seekh hai deta aur jeet vishwash
जवाब देंहटाएंhar pal chalate rahana rahee.....
liye naya vishwash.....