शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

शुभान्त - एक शुभारंभ


 शुभान्त !   - एक शुभारंभ 

कामनाएँ, मधुर कामनाएँ, शुभ कामनाएँ,
कामनाएँ आपके उज्जवल भविष्य की,
कामनाएँ हर संघर्ष की, संघर्ष में विजय की,
सविश्वास डटे रहने की, ज्ञान से झुके रहने की ।
कामनाएँ अविरत ज्ञानोपार्जन की,
कामनाएँ ज्ञान बांटने की, भटकों को मार्ग बताने की,
मंगल कामनाएँ आपके पथ प्रदर्शक जीवन की ।

इच्छाएँ, हमारी आन्तरिक इच्छाएँ,
इच्छाएँ आपसे जुड़े रहने की,
एक डोर से बंधे रहने की ।
जीवन के इस कर्मक्षेत्र में
पुनः मिलकर शस्त्र उठाने की
फिर विजय धुनी रमाने की ।
मंगल कामनाएँ आपके सुखद जीवन की ।
आशाएँ, हमें याद रखे जाने की......

सप्रेम,
-प्रकाश 'पंकज'

(यह कविता हमारे सह-कर्मी के लिए उनकी विदाई के अवसर पर )

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी

    कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
    http://vangaydinesh.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं