शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2010

प्रकृति का अभिशाप मानव



9 टिप्‍पणियां:

  1. आर्कटिक की बर्फ इतनी तेजी से पिघल रही है कि अगले 30 साल में यह पूरी तरह गायब हो सकती है। आर्कटिक इलाके की बदलती स्थिति पर किए गए एक नए व

    िश्लेषण से यह खतरनाक पहलू सामने आया है। यह स्टडी मौसम और जलवायु के कॉम्प्लेक्स कंप्यूटर मॉडल की मदद से की गई है। इससे पता लगता है कि इस सदी के अंत में जिस खतरे का अनुमान लगाया गया था, वह उम्मीद से काफी पहले ही आ सकता है।

    बर्फ की मात्रा में बदलाव काफी अहम है क्योंकि बर्फ की सफेद सतह सूरज की रोशनी को वापस स्पेस में भेजने का काम करती है। जब बर्फ पानी बन जाएगी तब सूरज की रोशनी को धरती सोखने लगेगी जिससे ग्लोबल वॉर्मिंग और बढ़ेगी।

    रिसर्चर मुइन वांग के मुताबिक, आर्कटिक को अक्सर पृथ्वी का रेफ्रिजिरेटर कहा जाता है क्योंकि समुद्री बर्फ सूरज की रोशनी को रिफ्लेक्ट कर पृथ्वी को ठंडा रखने का काम करती है। ऐसे में जब कम बर्फ रहेगी तो सूरज की गर्मी वापस रिफ्लेक्ट होने की बजाय पानी द्वारा सोख ली जाएगी। इससे पानी और हवा दोनों ही गर्म हो जाएंगे।

    रिसर्च नतीजे इंसानी क्रियाकलापों के कारण क्लाइमट चेंज के खतरे की ओर भी इशारा करते हैं। मसलन जीवश्म ईंधन के कारण होने वाली ग्लोबल वॉर्मिंग। स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक, हाल के समय में समुद्री बर्फ में आई कमी के कारण 2005-08 के दौरान सेंट्रल आर्कटिक की सतह पर हवा का तापमान 5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया। जब कि तापमान में इतना इजाफा तो साल 2070 तक के लिए अनुमानित था ...

    http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/4359389.cms

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  2. दिनकर जी की एक कविता याद आ गयी
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    निराशावादी

    पर्वत पर, शायद, वृक्ष न कोई शेष बचा
    धरती पर, शायद, शेष बची है नहीं घास

    उड़ गया भाप बनकर सरिताओं का पानी,
    बाकी न सितारे बचे चाँद के आस-पास ।

    क्या कहा कि मैं घनघोर निराशावादी हूँ?
    तब तुम्हीं टटोलो हृदय देश का, और कहो,

    लोगों के दिल में कहीं अश्रु क्या बाकी है?
    बोलो, बोलो, विस्मय में यों मत मौन रहो ।

    - रामधारी सिंह दिनकर

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  3. गुरू, कहां-कहां लिखोगे...
    पर अच्छा है.....

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  4. सही बात है। जिस पर्यावरण में मानव रहता है, उसके ही विनाश पर तुला है।

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  5. पर्यावरण संरक्षण का सन्देश देती अच्छी कविता......अगर अब भी ना चेते तो शायद पछताने का अवसर भी ना मिले....
    और हाँ एक बात और यदि ये वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें तो बेहतर होगा....

    साभार
    हमसफ़र यादों का.......

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  6. चरित्र का अर्थ हैं-महान् मानवीय उत्तरदायित्वों की गरिमा समझना और उसका हर कीमत पर निर्वाह करना।

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  7. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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